शब्द और पद में अंतर | Shabd aur Pad men Antar | Shabd aur Pad men Kya Antar hai
शब्द (Word) और पद (Phrase) में क्या अंतर है?
शब्द और पद में अंतर
Shabd aur Pad men Antar
सामान्य बोलचाल में शब्द और पद को एक ही मान लिया जाता है । परंतु जब हम भाषाविज्ञान की दृष्टि से दोनों का अध्ययन करते हैं तो दोनों के बीच का अंतर पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है । शब्द और पद में अंतर (shabd aur pad men antar) को भली-भाँति समझने के लिए हमें इनका पृथक्-पृथक् अध्ययन करना पड़ेगा । अब हम शब्द और पद दोनों का पृथक्-पृथक् अध्ययन करेंगे ।
शब्द (word)
भाषा में वाक्य होते हैं और वाक्य शब्दों से बनते हैं । इस तरह शब्द भाषा की एक इकाई है । प्रत्येक शब्द का कोई-न-कोई अर्थ होता है ।
बोलते समय हम अपनी भाषा में अनेक प्रकार के शब्दों का प्रयोग करते हैं। इन शब्दों का भाषा में विशेष महत्व है। इस प्रकार, निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं।
विचारों को व्यक्त करने में ये शब्द सहायक होते हैं। जिसके पास जितने अधिक शब्दों का भंडार होता है, यह उतना ही अच्छा बोल और लिख सकता है।
शब्द भाषा की स्वतंत्र और अर्थवान इकाई है। यह माना जाता है शब्द और अर्थ में शाश्वत (नित्य, अविनाशी) संबंध होता है। वास्तव में शब्द सार्थक होते हैं और भाषा-विशेष के वर्णों के विशिष्ट क्रम से बनते हैं। वे वस्तु, विचार या भाव को अभिव्यक्त करते हैं।
• भाषा में शब्द का विशिष्ट स्थान है।
शब्द का स्वरूप :
इस प्रकार शब्द के स्वरूप के विषय में हम कह सकते हैं :
1. शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई है: इसका तात्पर्य यह है कि शब्दों का प्रयोग भाषा में स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए कुरसी, तोता, लड़का, मेज़, कलम, घोड़ा आदि सभी शब्द हैं।
वाक्य में प्रयुक्त होने पर इन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व न रहकर वाक्य के लिंग, वचन, कारक और क्रिया के नियमों से प्रभावित होता है। शब्द वाक्य में प्रयुक्त होकर पद बन जाते हैं ।
2. शब्द भाषा की सार्थक इकाई है: केवल अर्थवान और सार्थक इकाइयाँ ही शब्द कहलाती हैं।
उदाहरण के लिए ‘कलम’ तथा ‘कमल’ दो हिंदी के शब्द हैं, क्योंकि ये दोनों शब्द सार्थक हैं, पर ‘मकल’ या ‘लकम’ शब्द नहीं हैं क्योंकि ये सार्थक और अर्थवान नहीं हैं।
शब्दों का वर्गीकरण:
शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया
जाता है-
1. उत्पत्ति, स्रोत या इतिहास के आधार पर (चार प्रकार): तत्सम शब्द, तद्भव शब्द, देशी/देशज शब्द, आगत (विदेशी) शब्द
4. अर्थ के आधार पर: (क) एकार्थी शब्द (ख) अनेकार्थी शब्द
(ग) समानार्थी या पर्यायवाची शब्द (घ) विपरीथार्थी या विलोम
पद (Phrase)
उदाहरण के लिए एक वाक्य लिया जा सकता है - राम ने रावण को बाण से मारा ।
इस वाक्य में चार अर्थ तत्त्व हैं – राम, रावण, बाण और मारना। वाक्य बनाने के लिए चारों अर्थ तत्त्वों में संबंध तत्त्वों कि आवश्यकता पड़ेगी, अतः यहाँ चार संबंध तत्त्व भी हैं। ‘ने’ संबंध तत्त्व वाक्य में राम का संबंध दिखलता है और इसी प्रकार ‘को’ और ‘से’ क्रमश: रावण और बाण का संबंध दिखलाता है । ‘मारना’ से ‘मारा’ पद बनाने में संबंध तत्त्व इसी में मिल गया है ।
नोट : कारक चिन्ह अर्थात् विभक्तियाँ संबंध तत्त्व कहलाती हैं ।
उदाहरण के लिए – श्याम ने मुझे पुस्तक दी। यहाँ ने और (मुझे = मुझ ‘को’) संबंध दर्शाने वाले तत्त्व हैं ।
शब्द जब स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है और वाक्य के बाहर होता है तब तक यह शब्द रहता है, किंतु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होता है, तब यह पद कहलाता है।
(ख) लड़के ने खाना खाया।
(ग) लड़कों को खाना खाने दो।
उपर्युक्त वाक्यों में लड़का, लड़के, लड़कों रूप अपने आप में स्वतंत्र नहीं है। ‘लड़का’ शब्द के ये अलग-अलग रूप हैं। ये ही रूप ‘पद’ कहलाते हैं।
पद का स्वरूप :
इस प्रकार पद के स्वरूप के विषय में हम कह सकते हैं :
1. पद के अंतर्गत शब्द में अर्थ-तत्त्व एवं संबंध-तत्त्व का योग होता है।
2. जहाँ संबंध तत्त्व स्पष्ट न हों अथवा दिखाई न पड़े, वहाँ पद में शून्य संबंध-तत्त्व होता है ।
3. वाक्य में शब्द/शब्दों का नहीं पद/पदों का प्रयोग होता है।
4. वाक्य-विश्लेषण का मुख्य आधार पद होता है ।
5. प्रत्येक भाषा के पद (रूप) भिन्न-भिन्न होते हैं ।
6. पदों की व्याकरणिक कोटि के अंतर्गत गणना होती है ।
शब्द और पद में अंतर
वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता
है।
‘पक्षी’, ‘आकाश’, ‘उड़ना’- ये तीन स्वतंत्र शब्द हैं। इनके मेल से बना वाक्य है-
पक्षी आकाश में उड़ते हैं।
अब इस वाक्य में प्रयुक्त तीनों शब्दों को पद कहा जाएगा।
पद के प्रकार या भेद:
निम्नलिखित वाक्य पढ़िए-
(क) घोड़ा दौड़ता है।
(ख) छोटा घोड़ा दौड़ता है।
(ग) छोटे घोड़े पीछे-पोछे दौड़ते हैं।
(घ) वह दौड़ता है।
(ङ) वे तेज दौड़ते हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में :
‘घोड़ा’, ‘घोड़े’ - संज्ञा पद हैं।
‘छोटा’, ‘छोटे’ - विशेषण हैं।
‘वह’, ‘वे’ - सर्वनाम हैं।
‘दौड़ता है’, ‘दौड़ते हैं’- क्रिया-पद हैं।
‘पीछे-पीछे’, ‘तेज’- अव्यय हैं।
इस प्रकार पद के पाँच प्रकार (भेद) हैं-
1. संज्ञा
2. सर्वनाम
3. विशेषण
4. क्रिया
5. अव्यय (अविकारी शब्द) -(क) क्रिया-विशेषण, (ख) संबंधबोधक
(ग) समुच्चयबोधक (योजक), (घ) विस्मयादिबोधक
निष्कर्ष
1. ‘शब्द’ मूल अथवा प्रतिपादिक होता है जबकि ‘पद’ शब्द और संबंधतत्त्व का योग होता है। संस्कृत में मूल शब्द को 'प्रतिपादिक' कहते हैं क्योंकि यह उस मूल शब्द से बनने वाले प्रति (प्रत्येक) पद में विद्यमान रहता है।
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